UAE Golden Visa: सिर्फ प्रॉपर्टी से नहीं मिलेगा गोल्डन वीज़ा, जानिए नया नियम
UAE Golden Visa Rules: यूएई सरकार ने गोल्डन वीजा को लेकर उठ रहे भ्रम को दूर कर दिया है. अधिकारियों ने दो टूक कह दिया है कि यह सुविधा नियमों और सरकारी जांच प्रक्रिया के अधीन है. सिर्फ प्रॉपर्टी खरीदना वीजा की गारंटी नहीं है.
यूएई सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि गोल्डन वीजा कोई ऑटोमेटिक सुविधा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और सरकारी जांच के बाद मिलने वाली मंजूरी है. हाल के महीनों में कुछ रियल एस्टेट कंपनियों ने भारत सहित कई देशों में यह भ्रम फैलाया कि बस एक बार की फीस देकर या प्रॉपर्टी खरीदकर कोई भी भारतीय गोल्डन वीजा का हकदार बन सकता है. लेकिन यूएई के अधिकारियों ने अब इसका खंडन किया है.
क्या है Golden Visa?
यूएई का गोल्डन वीजा एक लंबी अवधि का रेजीडेंसी वीजा है, जिसकी मियाद 10 साल तक हो सकती है. इसके तहत व्यक्ति न सिर्फ यूएई में रह सकता है, बल्कि बिना किसी लोकल स्पॉन्सर के काम भी कर सकता है और अपने परिवार और घरेलू कर्मचारियों को भी साथ रख सकता है. यह वीजा आमतौर पर उच्च कौशल वाले पेशेवरों, वैज्ञानिकों, निवेशकों, कलाकारों और डॉक्टरों को दिया जाता है.
सरकार का स्पष्ट संदेश
यूएई सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि गोल्डन वीजा केवल तय मानकों के आधार पर ही दिया जाएगा. चाहे आवेदन किसी अधिकृत एजेंट के माध्यम से हो या सीधे, अंतिम फैसला यूएई के संबंधित विभागों के पास ही रहेगा.
बयान में यह भी कहा गया कि रियल एस्टेट में निवेश, व्यवसाय शुरू करना, या कला-संस्कृति और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देना – ये सभी आधार हो सकते हैं. लेकिन सिर्फ एक अपार्टमेंट खरीदने भर से वीजा मिल जाएगा, ऐसा नहीं है.
ये भी पढ़ें- ahmedabad plane crash: एयर इंडिया AI171 हादसे पर शुरुआती रिपोर्ट तैयार, मौतों का आंकड़ा चौंकाने वाला
भारतीय निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा?
इंडिया सोथबी इंटरनेशनल रियल्टी के अंतरराष्ट्रीय निदेशक आकाश पुरी का कहना है कि यह बदलाव भारत के उन निवेशकों के लिए बड़ा संकेत है जो केवल रहने की सुविधा पाने के लिए प्रॉपर्टी खरीदते थे.
पुरी बताते हैं, “पहले लोग प्रॉपर्टी को वीजा का ज़रिया मानकर निवेश करते थे. लेकिन अब जब गोल्डन वीजा सिर्फ निवेश पर निर्भर नहीं रह गया, तो लोग ज्यादा सोच-समझकर फैसला लेंगे.”
उन्होंने आगे कहा कि मध्यमवर्गीय और शुरुआती निवेशकों की तरफ से जल्दबाजी में की जाने वाली खरीदारी में अब कमी आ सकती है. वहीं, अल्ट्रा अमीर निवेशक (Ultra HNIs) शायद अब भी लग्जरी प्रॉपर्टी में निवेश जारी रखें क्योंकि उन पर नए नियमों का असर कम होगा.
अब क्या करें भारतीय निवेशक?
पुरी का सुझाव है कि भारतीयों को अब अपनी रणनीति बदलनी होगी. रेजीडेंसी के बजाय अब उन्हें संपत्ति की गुणवत्ता, लोकेशन और भविष्य में होने वाले रिटर्न को देखकर निवेश करना चाहिए. यह यूएई के रियल एस्टेट बाजार को भी स्थिर और विश्वसनीय बनाएगा.
क्यों फैला भ्रम?
दरअसल, हाल के महीनों में कुछ रियल एस्टेट कंपनियों ने सोशल मीडिया और विज्ञापनों में यह प्रचार किया कि प्रॉपर्टी खरीदो और वीजा पाओ. खासकर भारत में इसका काफी असर पड़ा. लेकिन अब सरकार ने साफ कर दिया है कि नियमों को दरकिनार कर वीजा नहीं मिलेगा.
– गांव शहर
Pingback: Ladakh Trip on Scooty: जब एक लड़के ने स्कूटर से पार कर लिया लद्दाख