Virgin Queen Elizabeth I: इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ प्रथम (Elizabeth I) इतिहास की अकेली ऐसी इंग्लिश क्वीन थीं जिन्होंने कभी शादी नहीं की. लेकिन क्या ये महज एक निजी फैसला था या इसके पीछे कुछ और वजहें थीं? 450 साल पहले केनिलवर्थ किले में हुई उनकी एक खास यात्रा शायद इसका जवाब देती है. इस दौरे को अब एक नई कला प्रदर्शनी में दिखाया गया है. जिसमें सत्ता प्रेम धोखे और दर्द की कई परतें खुलती हैं.
डडली का सपना: महल से शादी तक
जुलाई 1575 एलिज़ाबेथ 41 साल की थीं. वो केनिलवर्थ किले पहुंचीं ये वही किला था जो उन्होंने अपने करीबी साथी रॉबर्ट डडली को सालों पहले दिया था. डडली ने पूरे किले को सजाया-संवारा बगीचे बनवाए झील सजाई और ऐसा जश्न करवाया जो उस वक्त किसी शाही शादी से कम नहीं था.
हर दिन का खर्च था हज़ार पाउंड जो आज की रकम में करोड़ों रुपये होता. वहां परफॉर्मेंस थे नाटक आतिशबाज़ी म्यूज़िक नाच झील पर तैरती जलपरी डॉल्फिन के अंदर छिपे म्यूज़िशियन यानी हर चीज़ थी जिसे देखकर कोई भी रानी कहे “हां.”
लेकिन नाटक जो कभी हुआ ही नहीं
इस दौरे की सबसे खास चीज़ एक ‘मास्क’ यानी नाट्य प्रस्तुति होनी थी. इसमें दिखाया जाता कि चेस्टिटी की देवी डायना अपनी एक निंफ को ढूंढ रही हैं जिसका नाम था “ज़ाबेटा” यानी एलिज़ाबेथ का प्रतीक. आख़िरी सीन में विवाह की देवी जूनो का संदेश आता और एलिज़ाबेथ से शादी करने की अपील की जाती.
लेकिन वो नाटक कभी नहीं हुआ. वजह? कहा गया कि मौसम खराब था लेकिन माना जाता है कि एलिज़ाबेथ को स्क्रिप्ट की बात पता चल गई थी और उन्हें ये बात पसंद नहीं आई. हो सकता है उन्हें लगा हो कि ये निजी मामला सार्वजनिक मंच पर लाया जा रहा है.
उस दौरे के बाद क्या बदला?
रानी कुछ दिन और रहीं लेकिन बाहर नहीं निकलीं. फिर चुपचाप किला छोड़ दिया. डडली को भले ही शादी का प्रस्ताव मंज़ूर न मिला हो लेकिन उसने इस दौरे को कभी हार के रूप में नहीं देखा. उसने बाद में किले को ज्यों का त्यों रखने की वसीयत भी लिखी.
रानी की आज़ादी की सोच
एलिज़ाबेथ के अविवाहित रहने के पीछे कई परतें थीं. एक तो वो किसी के अधीन नहीं रहना चाहती थीं. उन्होंने कहा भी था “मैं यहां अकेली मालकिन हूं कोई मालिक नहीं चाहिए.”
वो बचपन से ही राजनीति इतिहास भाषाएं और शासन में पारंगत थीं. उन्होंने देखा था कि उनकी सौतेली मां कैथरीन पार कैसे राजा की गैरहाज़िरी में पूरी सत्ता संभाल रही थीं और शायद तभी उन्होंने समझ लिया कि एक महिला अकेले भी राज कर सकती है.
दूसरी बात उनका पारिवारिक इतिहास भी बहुत डरावना था. उनके पिता हेनरी अष्टम ने उनकी मां ऐनी बोलेन को झूठे आरोपों में गिरफ्तार करवा कर सिर कलम करवा दिया था जब एलिज़ाबेथ सिर्फ तीन साल की थीं.
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विवाह नहीं देश से नाता
राजनीतिक तौर पर भी शादी से दूर रहना एक चतुर फैसला था. अगर वो किसी विदेशी राजकुमार से शादी करतीं तो इंग्लैंड पर बाहरी असर बढ़ सकता था. अगर किसी इंग्लिश रईस से करतीं तो बाकी दरबारी नाराज़ हो सकते थे. इसलिए उन्होंने सबको टाल दिया लेकिन दरवाजे कभी बंद नहीं किए.
वो जानती थीं कि अगर लोग उनके हाथ को शादी के लिए ‘संभावित’ मानते हैं तो वो राजनयिक रूप से मज़बूत बनी रह सकती हैं. इसी वजह से उन्होंने अपने पूरे शासनकाल में “वर्जिन क्वीन” की छवि बनाई और कहा “मैं इंग्लैंड से ब्याही गई हूं.”
आख़िर में क्या बचा?
डडली ने तीन साल बाद किसी और से शादी कर ली रानी को बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर माफ कर दिया. जब डडली की मौत हुई तो एलिज़ाबेथ कई दिन तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकलीं. और जब खुद उनकी मौत हुई तो उनके पास एक संदूक से डडली का आखिरी खत मिला जिस पर उन्होंने लिखा था उसका आखिरी पत्र.
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