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गौतम अडानी (Gautam Adani) पर लगे आरोप पर अमेरिका ये सख्त कदम उठा सकती है, भारत में की रिश्वतखोरी का मुकदमा अमेरिका में क्यों चलाया जाएगा?

नई दिल्ली, गांव शहर न्यूज। एशिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) मुसीबतों से घिरे नजर आ रहे हैं। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की कुल संपत्ती में गुरुवार 21 नवंबर को 15 अरब डॉलर की गिरावट आई। गिरावट की वजह अमेरिकी अभियोजकों द्वारा उनपर रिश्वरखोरी का आरोप था।

ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के मुताबिक, भारतीय अद्योगपति गौतम अडानी की संपत्ति में 72 बिलियन डॉलर रह गई जो साल की शुरुवात से 15% कम है।

क्या है पूरा मामला?

गौतम अडानी पर अमेरिका के सिक्योरिटीड एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) के द्वारा न्यूयॉर्क में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सौर उर्जा का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन की रिश्वत दी थी। इसके अलावा उन्होंने यह बात अमेरिकी निवेशको से छुपाई थी जिससे की पैसे जुटा सके।

अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने आरोपों को गलत बताया और यह कहा कानूनी उपाय अपनाए जाएंगे। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स की रिपोर्ट बताती है कि प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, “अडानी समूह ने हमेशा अपने संचालन के सभी क्षेत्रों में शासन, पारदर्शिता और नियामक अनुपालन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”

गुरुवार 21 नवंबर को अडानी ग्रुप के शेयरों में अडानी एंटरप्राइजेज में 22.6% की गिरावट आई और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस 20% नीचे बंद हुआ।

SEC क्या कर सकती हैं?

दरअसल, रिश्वतखोरी का आरोप अडानी की कंपनी पर नहीं बल्कि उनपर और उनके सहयोगीयों पर व्यक्तिगत तौर पर लगा है।

अमेरिका का सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर स्थायी रोक लगा सकता हैं। इसके अलावा सिवील पेनल्टी लगाई जा सकती है।

रिश्वतखोरी का आरोप अडानी ग्रुप नहीं बल्कि गौतम अडानी पर व्यक्तिगत रुप से लगा है इसके बावजूद गुरुवार को अडानी ग्रुप के शेयरो में 20 फीसदी तक गिरावट देखी गई। अडानी एनर्जी के शेयर 16 फीसदी गिर गए।

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भारत में अडानी पर आरोप क्या हैं?

अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक, एक अमेरिकी कंपनी ने भारत की सरकारी कंपनी (सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) से कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था। इस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत उस अमेरिकी कंपनी को भारत में 8 और 4 गीगवाट की सौर उर्जा की सप्लाई करनी थी। इस काम के लिए अमेरिकी कंपनी ने भारतीय एनर्जी कंपनी और निवेशको से पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड जारी किया था।

इसके बाद सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन को यह बिजली भारत की बिजली कंपनियों को बेचनी थी मगर कोई खरीदार ना मिल पाने के कारण अडानी ग्रुप और अजूर पावर के साथ कोई समझौता नहीं हो सका। यही कारण हैं कि अडानी और उनके सहयोगियों ने कुछ राज्यों के अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत दी ताकि सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन से बिजली खरीदने की डील हासिल कर सके।

न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अटॉर्न दफ्तर के बयान में कहा गया है कि 2020 से 2024 के बीच अडानी और उनके सहयोगियों ने भारतीय अधिकारियों को कथित तौर पर 25 करोड़ डॉलर भारतीय रुपये में लगभग 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत देने के लिए तैयार हो गए ताकि सौर उर्जा से जुड़ी डील हासिल कर सके। इसके अलावा यह भी बताया गया कि मामले को लेकर गौतम अडानी कई बार भारत में अधिकारियों से निजी तौर पर मिल चुके थे। आपको बता दें कि अडानी ग्रुप को यह डील मिलने पर कंपनी को 20 साल के अंदर 2 अरब डॉलर का लाभ होने का अनुमान था।

रिश्वत के आरोप भारत में फिर अमेरिका में मुकदमा क्यों?

भारत के लोगों के मन में यही बात चल रही है कि अगर गौतम अडानी की रिन्युबल एनर्जी कंपनी ने कथित तौर पर रिश्वत देकर भारत में कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने की कोशिश की तो फिर उनके सहयोगियों पर अमेरिका में मुकदमा में कैसे चल सकता है?

आपको बता दें कि न्यूयॉर्क की अदालत में इनडाइटमन्ट (आरोप पत्र) दाखिल किया गया है जिसमें उल्लखित है कि गौतम अडानी और कुछ अन्य लोग रिश्वत देने की योजना में शामिल थे। इन लोगों ने बिना बताएं की उन्होंने रिश्वत दी है अमेरिकी और अन्य देशों के निवेशकों से पैसे जुटाए हैं।

आरोप के अनुसार, यह अपराध अमेरिकी निवेशको के पैसों पर किए गए इसलिए उनके खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और कामकाज में बाधा पहुंचाने का मामला चलाया जाएगा। भले ही ये लोग दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।

अमेरिका के असिस्टेंट डायरेक्टर इंचार्ज के अनुसार, अडानी और उनके सहयोगियों ने रिश्वतखोरी और भष्टाचार के बारे में गलत बयानों के आधार पर पूंजी जुटाई जिसके बाद निवेशकों को धोखा दिया। इनमें शामिल कुछ लोगों ने सरकार की जांच में अड़चने डाली ताकि रिश्वतखोरी की साजिश को छिपाया जा सके।

 

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