मैच के बाद भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर और युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने टीम मैनेजमेंट और कोचिंग सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर भारत ने गेंदबाजों को भी बल्लेबाजी सिखाई होती, तो ये मुकाबला जीत लिया जाता।
“ऑलराउंडर बनते हैं, पैदा नहीं होते”: योगराज सिंह
योगराज सिंह ने दो टूक कहा कि ऑलराउंडर (All-Rounder) कोई जन्मजात प्रतिभा नहीं होती, बल्कि उसे तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा, “मैं कई बार कह चुका हूं कि गेंदबाजों को भी बल्लेबाजी सिखानी चाहिए। जब तक गेंदबाज सिर्फ गेंदबाजी तक सीमित रहेंगे, तब तक टीम दबाव की स्थिति में बिखरती रहेगी।”
योगराज का मानना है कि अगर पुछल्ले बल्लेबाज (Tailenders) भी क्रीज पर टिकने की आदत डाल लें, तो टीम को निचले क्रम से भी उम्मीद बंध सकती है। उन्होंने खासतौर पर रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) का नाम लेते हुए कहा,
“दूसरी पारी में सारा भार जडेजा के कंधों पर डाल दिया गया। नीतीश रेड्डी आउट हुए तो लोग उन्हें ट्रोल करने लगे। ये गलत है।”
“बल्लेबाज प्रैक्टिस करते हैं, तो गेंदबाज क्यों नहीं?”
योगराज सिंह ने कहा कि जब टीम के बल्लेबाज नेट्स पर घंटों मेहनत करते हैं, तो गेंदबाजों को भी उसी तरह से बल्लेबाजी की ट्रेनिंग (Practice) मिलनी चाहिए। “अगर आप किसी खिलाड़ी को थोड़ा भरोसा देंगे, उस पर मेहनत करेंगे, तो वह भी सीख सकता है। कोई भी खिलाड़ी परफेक्ट ऑलराउंडर बनकर पैदा नहीं होता। उसका कोच उसे बनाता है।”
उन्होंने कहा,
“गेंदबाजों को ‘टेलएंडर’ कह देना उनके टैलेंट का अपमान है। आज के दौर में क्रिकेट इतना प्रतिस्पर्धात्मक हो गया है कि हर खिलाड़ी को कम से कम बेसिक बल्लेबाजी आनी ही चाहिए।”
“जडेजा पर दबाव नहीं होता, अगर नीचे के बल्लेबाज टिकते”
मैच के नतीजे पर बात करते हुए योगराज ने कहा, “अगर नीचे के क्रम में 20-25 रन भी और जुड़ जाते, तो नतीजा कुछ और होता। जडेजा ने तो पूरी जान लगा दी, लेकिन अकेले वो कितना कर सकते थे? ये वही हाल है जो हम 90 के दशक में देखा करते थे कि एक बल्लेबाज रन बनाए और बाकी धराशायी।”
उन्होंने ये भी कहा कि जब तक सभी खिलाड़ियों को एक स्तर पर ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी, टीम ऐसी स्थिति में बार-बार फंसेगी। “हर खिलाड़ी को बैट और बॉल दोनों की समझ होनी चाहिए। तभी जाकर टीम संकट में टिक सकती है।”
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इंग्लैंड के हाथों तीसरे टेस्ट में हार, सीरीज में पिछड़ी टीम इंडिया
बता दें कि लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड ने भारत के सामने जीत के लिए 193 रनों का लक्ष्य रखा था। जवाब में भारत की टीम 170 रन ही बना सकी । भारत की ओर से सिर्फ रवींद्र जडेजा ने अकेले संघर्ष करते हुए 61 रन बनाए, लेकिन उन्हें किसी और का साथ नहीं मिला।
भारत सीरीज में 1-2 से पीछे हुआ
इस हार के साथ ही भारत पांच मैचों की सीरीज में 1-2 से पीछे हो गया है। अगला टेस्ट अब ‘करो या मरो’ की स्थिति जैसा होगा। ऐसे में टीम मैनेजमेंट को भी ये सोचना होगा कि क्या हर खिलाड़ी को ‘कुशल ऑलराउंडर’ बनाने का वक्त आ गया है?
योगराज सिंह के इस बयान ने एक बार फिर क्रिकेट सिस्टम में सुधार की बहस को हवा दे दी है। क्या कोचिंग कैंप्स में अब गेंदबाजों की बल्लेबाजी पर भी उतना ही फोकस किया जाएगा, जितना गेंदबाजी पर होता है? ये तो वक्त ही बताएगा।
– गांव शहर
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