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Russia Local Elections Belarus Rights: सीमाएं धुंधली हो रही हैं…गठबंधन मजबूत हो रहा है, एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है

Russia Local Elections Belarus Rights

Russia Local Elections Belarus Rights: 24 फरवरी 2025 ये तारीख दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया है. इसलिए नहीं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन के दौरे पर गए हैं. या इसलिए नहीं कि बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव को ‘तुम्हारा बाप अपराधी है’ कहकर उनका मजाक उड़ाया गया हो. बल्कि इसलिए कि कभी अलग हो गए दो देश फिर मिलकर एक हो रहे हैं. आज की कहानी रूस और बेलारूस के उस ऐतिहासिक कानून के बारे में है. जो यूरोप के इतिहास को बदल देने की क्षमता रखता है.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किये हैं, जो दोनों देशों के नागरिकों को एक दूसरे के देश में जाकर वोट देने और चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता देता है. यानी अब रूस या बेलारूस के नागरिक एक दूसरे के देश में जाकर चुनाव लड़ सकेंगे या अपना वोट दे सकेंगे.

इतिहास की परछाइयों में वर्तमान का Russia Local Elections Belarus Rights

यह कानून बेलारूस में पहले से ही मौजूद है. जो अपने यहां के रूसी नागरिकों को बेलारूस में चुनाव लड़ने की इजाजत देता है. अब रूस ने भी बेलारूस के नागरिकों को रिटर्न गिफ्ट दिया है. इस कानून को देखें तो ऐसा लगता है कि दोनों देशों ने ऐसा एक दूसरे के नागरिकों को सम्मान या समानता देने के लिए ये कदम उठाया है, लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है. अगर रूस और बेलारूस के इस कदम को गहराई से देखें तो यह सोवियत के अतीत को वर्तमान में फिर से आकार देने जैसा होगा.

यूनियन स्टेट की तरफ बढ़ रही रूस और बेलारूस की मित्रता

यह कानून एक संकेत दे रहा है कि रूस और बेलारूस के बीच अब सिर्फ राजनीतिक मित्रता नहीं रह गई है, बल्कि यह एक यूनियन स्टेट के रूप में बढ़ता दिखाई देता है.

फेडरेशन काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद इस कानून को ड्यूमा में प्रस्तुत किया. जो दिखाता है कि ये कानून सत्ता के शीर्ष पर मौजूद लोगों की मंशा से प्रेरित है.

अतीत के वैभव को वर्तमान में गढ़ने की कोशिश कर रहे पुतिन

साल 2018 में एक पत्रकार ने रूसी राष्ट्रपति से पूछा कि इतिहास की वो किस घटना को बदलना चाहेंगे. तो पुतिन का जवाब था ‘सोवियन यूनियन का विघटन’. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भी इस घटना को राजनीतिक घटना नहीं बल्कि एक त्रासदी के रूप में मानते हैं.

एक नये युग की शुरुआत है ये

पुतिन के लिए बेलारूस रूस के लिए कोई अलग देश नहीं है. यह रूस के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चरित्र में रचा बसा छोटा भाई है. जो कभी रूस के छाया के नीचे सांसें लेता था. अब रूस फिर उस छोटे भाई को अपने साथ मिला रहा है. यह एक नए युग की शुरुआत जैसा है.

Russia Local Elections Belarus Rights: भविष्य में क्या होगा?

इस नए कानून के लागू होने से दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे के देश में चुनाव लड़ सकेंगे, वोट दे सकेंगे और अपने पसंद के नेता को सत्ता में ला सकेंगे. अगर इसको राजनीतिक एंगल से देखा जाए तो यह दोनों देशों के बीच विलय की भूमिका बनाने जैसा दिख रहा है. हो सकता है कि भविष्य में रूस और बेलारूस मिलकर एक ही देश बन जाएं.

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क्या यह सोवियत संघ की वापसी का संकेत है?

इसे हम रूसी स्टेट ड्यूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन के उस बयान से समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर रूस और बेलारूस की ये दोस्ती कितनी दूर तक जाएगी.

व्याचेस्लाव वोलोडिन ने कुछ समय पहले कहा था कि रूस और बेलारूस के इस पहल का उद्वेश्य यूनियन स्टेट के ढांचे के भीतर दोनों देशों के बीच एकीकरण और सहयोग मजबूत करना है. अगर इस कोड को डिकोड करा जाए तो यह कहा जा सकता है कि रूस का उद्वेश्य रूस और बेलारूस को मिलाकर एक यूनियन स्टेट बनाने का ही है.

रूस और बेलारूस के बीच लागू हुआ यह कानून वास्तव में उस लकीर को फिर से खींचने की कोशिश है, जो सोवियत संघ के पतन के साथ ही मिट गई थी.

इतिहास दोहराया नहीं जाता, वो नए लिबास में सामने आता है. रूस और बेलारूस की सीमाएं धुंधली हो रही हैं. गठबंधन मजबूत हो रहा है. यह एक नए अध्याय की शुरुआत है.

– गांव शहर 

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