Friendship Day: हर साल अगस्त के पहले संडे को दुनिया भर में ‘फ्रेंडशिप डे’ (Friendship Day) मनाया जाता है. दोस्ती जैसे रिश्ते को सेलिब्रेट करने वाला यह दिन अब सिर्फ स्कूल-कॉलेजों तक सीमित नहीं रह गया है. अब सोशल मीडिया से लेकर कार्पोरेट और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी मनाया जाने लगा है. आज फ्रेंडशिप डे है. आपने भी अपने दोस्तों के साथ मनाया जरूर होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि फ्रेंडशिप डे की शुरुआत एक ग्रीटिंग कार्ड बनाने वाली कंपनी ने एक मार्केटिंग आइडिया के तौर पर की थी.
कैसे हुई शुरुआत
सबसे पहले 1930 में एक कंपनी Hallmark Cards ने फ्रेंडशिप डे मनाने के लिए एक आइडिया दिया था. उस समय कंपनी ने कहा था कि लोगों को दोस्ती जैसे एक महत्वपूर्ण रिश्ते को भी सेलिब्रेट करना चाहिये. इस मौके पर लोगों को कार्ड्स देकर आभार जताना चाहिये. कंपनी के द्वारा फ्रेंडशिप डे मनाने के पीछे का कारण मोटा मुनाफा कमाना था.
संयुक्त राष्ट्र ने भी दी मान्यता
शुरुआत में तो यह लोकप्रिय नहीं हुआ, लेकिन समय के साथ लोगों की अवधारणा बदलने लगी. पहली बार 1958 में पराग्वे देश ने पहली बार औपचारिक रूप से फ्रेंडशिप डे घोषित किया. जिसके बाद यह पूरी दुनिया में मशहूर हो गया. 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी इसे मान्यता दे दी और अगस्त के पहले संडे को इसका दिन रखा गया. संयुक्त राष्ट्र का इस फ्रेंडशिप डे मनाने का उद्वेश्य था कि सभी देशों और समुदायों के बीच आपसी बातचीत और दोस्ती को बढ़ावा दिया जाए.
भारत में कैसे आया ट्रेंड?
भारत में अगर फ्रेंडशिप डे ट्रेंड की बात की जाए तो यह 1990 के दशक में आया. जब भारत में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत हुई. उस समय टीवी और फिल्मों में इसका प्रचार प्रसार बढ़ने लगा. हिंदी फिल्मों और म्यूजिक एल्बम में बेस्ट फ्रैंड और लाइफलाइन जैसे शब्दों का प्रचलन तेजी से बढ़ा. तब जाकर भारत के लोगों ने इसे अपना लिया. स्कूल और कॉलेजों में लड़के-लड़कियां एक दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बंधने लगे.
दोस्ती का बदलता चेहरा
अगर आज की बात करें तो पहले के मुकाबले आज फ्रेंडशिप अलग तरह का हो गया है. पहले दोस्त एक साथ मिलते थे. घंटों साथ बिताते थे, गप्पे लड़ाते थे. लेकिन अब यह भी डिजिटल हो गया है. लोग सीधे तौर पर दोस्तों से मिलने के बजाए ऑनलाइन ही ग्रीटिंग्स भेजने लगे हैं. इसलिए इसकी आलोचना भी हो रही है. लोग अब इसे कमर्शियल त्योहार मानने लगे हैं.
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